मैं अपना मजमूआए कलाम "पैंमानए मारूफ"
अपने रहबरे वक्त मुर्शिदे कामिल गारे तरीकत नूरे हिदायत
ताजे विलायत हज़रत रब्बाजा शेख मोहम्मद अब्दुल रऊफ
शाह कादरी अल चिश्ती इफ्तेखारी फेंहमी पीर ताजे
आली दामले बरकाताहु की बरगाहे विलायत में नज़र
करता हूँ, जिनकी एक निगाहे फैज से हजारों मुर्दा दिल
रोशन हो गये । जिनकी खुशबू' सारा आलम महक उठा,
जिनकी आमद से कूफ़ का अंधेरा मिट गया, जुलमत के
बादल छट गये हैं गुमराहियों ने अपना मुँह तारीकियों में छुपा
लिया । कलामे हाजा "पैमानए मारूफ" उसी शमाए
विलायत से मब्लूब करता हूँ।
अपने मुर्शिद क्रो खाकेपा हूँ मैं
दीन व दुनिया का बादशाह हूँ मैं
रवाकपाये पीर फैहमी रव्वाजा शेख मोहम्मद फारूक शाह प्यारी
अल चिश्ती इपतेखारी फैहमी नबाजी मारूफ पोर अपने अन्हु
शुरू बे से कलाम बिस्मिल्लाह
जो भी दिल से पढेगा बिस्मिल्लाह
मेरी रग रग में है नशा यारों
बक्श दे बक्श दे मेरे जाता
मेरे मौला तू सबको नेक मौला
बे से कालूबला को याद कसे
क्यूँ ना उसके बनेंगे बिगड़े काम
बायजीद को हमने ये कहते सुना
भेजे मेहबूब पर गुलामो ने
पीर गुलामो के हायों महशर में
राजे हक का मुकाम बिस्मिल्लाह
उसपे दोजख हराम बिस्मिल्लाह
पी लिया जबसे जान बिस्मिल्लाह
मिले जन्नत मुकाम बिस्मिल्लाह
नेक हो सब के कामबिसंभेल्लाह
है ये पहला क्लाम बिसंभेल्लाह
जो पढे सुबहो शाम बिस्मिल्लाह
आरिफोका है नान बिस्मिल्लाह
हो दूरुद सलाम बिस्मिल्लाह
मिले कौसर का हो दूरुद बिस्मिल्लाह
दुआ दिल से करों ज़रा मारूफ़
सब पे रहमत हो आम बिस्मिल्लाह
तेरी जात पाक है ऐ खुदा तेरी शान जल्ले जला लहू
कोई क्या करे भी सना तेरी शान जल्ले जला लहू
कोई कहता तुझको राम है कोई लेता अल्लाह नाम है
तू ही सबका है मालिक खुदा तेरी शान जल्ले जला लहू
जिसे चाहे अपना बनाए तूजिसे चाहे दर दर फिराए तू
तेरे दर पे है शान जल्ले जला व गदा तेरी शान जाले जला लहू
तू ही अर्श पे जलवा नाशी तू ही फर्श पे पर्दा नॅशी
तू ही चार सू जलवा नुमा तेरी शान जल्ले जला लहू
कोई बंदा तेरा अमीर है कोई दर का तेरे फकीर है
तू ही बादशाह है जहान का तेरी शान जल्ले जला लहू
फ़ेहेमी पिया का यह दर मिला जैसे खुदा का वह घर मिला
मिल पीर से ही मुददुआ तेरी शान जल्ले जला लहू
मारूफ की रख तू लाज को रूखा ना कर मोहताज को
मेरा कोन है तेरे सिवा तेरी शान जल्ले जला लहू