Lailahailallah
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Insani Paidaish

अम्माबाद : किताबे हाज़ा “इन्सानी पैदाइश और उसके असरार” में तमाम मादरे मेहरबान और बिलखुसूस “हज़रते आमना र.अ.” की बारगाहे अक़ीदत में बसद अदब व अहतेराम नज़र करता हूँ।
जो ना जाने कितने ही ग़म व तकलीफ उठाकर नौ माह अपने पेट में एक नई ज़िंदगी को जनम देती है। बवक्.त पैदाइश लोगों का सवाल होता है के लड़का या लड़की पैदा हुई, पर दर हक़ीक़त वहाँ पर एक “ माँ” का ही जनम होता है।अल्लाह तआला की कुदरते कामिला का अगर कोई मज़हरे अतम है तो वह मादरे मेहरबान ही है।अल्लाह का इरफान शिकमे मादर में कुल्ली तौर पर नज़र आता है। हज़ारों नक़्शे हज़ारों तग़य्युरात एक लमहा में माँ के पेट में जलवागर होते हैं।या यूँ कहो के तमाम आलम की ज़हूरगाह का नाम मादरे शिकम है। इस्लाम में माँ के तीन हक़ साबित हैं।
क्यूंके


अव्वल : माँ ही बच्चे को अपने पेट में रख सकती है बाप नहीं।
दुव्वम : माँ ही बच्चे को पैदा कर सकती है बाप नहीं।
सिव्वुम : माँ ही बच्चे को दूध पिला सकती है बाप नहीं।
 रहा परवरिश का सवाल तो इसमें बाप और माँ दोनों शरीक हैं। माँ की बोली ही “ उम्मुल–ज़ुबान ” है। यानी हर क़ौम व मिल्लत अपनी जुबान को माँ की जुबान (मादरी जुबान) से मनसूब करते हैं।

गर क़बूल इफतेदज़ है इज़्ज़ व शर्फ
 हज़रत ख्.वाजा शेख़ मोहम्मद फारूक़ शाह क़ादरी अल–चिश्ती इफ्तेख़ारी 
मारूफ पीर अफी अनहो


तर्जमा : और बेशक हमने आदमी को चुनी हुई मिट्टी से बनाया‚ फिर उसे पानी की बूंद किया एक मज़बूत ठहराव में‚ फिर हमने उस पानी की बूंद को खून की फटक किया (जैसे जौक) फिर खून की फटक को गोश्त की बोटी फिर गोश्त की बोटी को हड्डियाँ फिर उन हड्डियों पर गोश्त पहनाया फिर उसे और सूरत पर उठान दी तो बड़ी बरकत वाला है अल्लाह सबसे बहतर बनाने वाला।                (सूरह मोमिनून, आयत : 12–14)

Translate: 12: Man we did create from a quintessence [of day]
13: Then we placed him as [ a drop of] sperm
14: then we made the spem into a cloth of congealed blood,then of that clot we made a [foetus] lump,then we made out of that lump.Bones and clothed the bones with flesh, then we developed out of it another creature.So blessed be God. The best to creat.
[by A.Yusuf Ali]

हदीस शरीफ : नुतफा चालीस दिन बाद अलक़ा (जैसे जौक) बन जाता है। फिर चालीस दिन के बाद यह मुदग़ा (चबाई हुई बोटी की तरह) की शकल इख़तियार कर लेता है फिर अल्लाह की तरफ से एक फरिश्ता आता है जो उसमें रूह फूँकता है।यानी चार महीने के बाद नफख़े रूह होता है और बच्चा एक वाज़ेह शकल में ढल जाता है। (सहीबुख़ारी‚किताबुलअम्बियावकिताबुल­क़दर‚मुस्लिम‚बाबुल­कैफियतु­ख़लकुल­आदमी)

इन्सानी पैदाइश अजीब व ग़रीब व पुर असरार है। आज तक इस राज़ से कोई वाक़िफ ना हो सका सिवाए एक ज़ाते वाहिद के जो हक़ीक़ी ख़ालिक़ व मालिक है।


मैं इन्सान का राज़ हूँ इन्सान मेरा राज़ है। आइए कुर्आन की रौशनी में  और इरफान की रहबरी में और सायंसी तजुरबात की बुनियाद पर कुछ हम भी राज़ पाएँ। एक जगह अल्लाह तआला फरमाता है।

तजुमा : बेशक इन्सान पर एक वक्.त वह गुज़रा के कहीं उसका नाम भी ना था।(सूरह दहर‚ आयत : 1)
 परवरदिगार का लाख लाख अहसाने अज़ीम है जिसने इन्सान को नेस्ती से हस्ती में‚ अदम से वजूद में लाया।

 तर्जुमा : तो चाहिए के इन्सान ग़ौर करे के किस चीज़ से बनाया गया है।(सूरह तारिक़‚ आयत : 5)

अल्लाह तआला इन्सान को दावते फिकर देता है के इन्सान अपने आप पर ग़ौर करे के इस से क़ब्ल वह क्या था। एक नाक़ाबिले ज़िक्र चीज़ थी जिसको हमने वजूद में लाया। अगर इन्सान अपनी तख़लीक़ पर ग़ौर व ख्वास करे तो उसे अपने ख़ालिक़ व मालिक तक पहुँचने का रास्ता मिल जाएगा। मगर किसी की रहबरी असद  ज़रूरी  है। अगर  इन्सान  इसके 

बरअक्स अक़ल के भरोसे पर ख़ुद को तलाश करने निकले तो अक़ल का पहला सवाल यह होगा के मैं किस चीज़ से बना हूँ? इसकी अक़ल आँख के ज़रिए मुशाहदा करके बता देगी के तू एक गोश्त व पोस्त व हड्डियों से बना है। फिर अक़ल सवाल करेगी के यह सब किस से बने हैं? फिर जवाब मिलेगा यह सब नुतफा से बने। फिर सवाल उठेगा नुतफा किस से बना? फिर जवाब मिलेगा के यह खुलिए से बना। फिर खुलिया किस से बना। यहाँ आकर अक़ल दम तोड़ देगी और वह इसी चक्कर में ज़िंदगी बर्बाद कर देगा। मगर जिन्हें रहबरी नसीब हुई है उसे साफ पता है के हर चीज़ का बनाने वाला ख़ालिक़ है।                              
जिसने खुदको पहचाना तहक़ीक़ उसने रब को पहचानाहृ

 (सूरह हुजरात, आयत : 13)
तजुर्मा : ऐ लोगों हम ने तुमहें एक मर्द (XY) और औरत (XX) से पैदा किया। दिमाग़ के पीछे एक मकाई के दाने के बराबर उजू होता है। जो सिगनल (इशारा) पाते ही फ्वालिकल इस्टिम्युलिटिंग हारमोन (FSH) जोके पिटियूटरी ग्लैंड(Pitutary Gland) से आता है और सरटोली खुलियात (Sertoli Cells) को मुतहरिक करता है। इस हारमोन की ग़ैर मौजूदगी में नुतफा (Sperm) बनना नामुम्किन है। सरटोली खुलिया मुतहरिक होने के बाद अ‍ॅस्ट्रोजन (Oestrogen) बनाता है। इसी के साथ साथ लेडिग खुलिया (Leydig Cell) ल्यूटेनायज़िंग हारमोन (Leutinising Harmone) के ज़रिए मुतहरिक होते ही यह एक हारमोन बनाता है जो के टेसटेसट्रॉन (Testestrone) है। टेसटेसट्रॉन के ज़रिए मर्दाें की अहम खुसुसयात ज़ाहिर होने लगती है।यह  टेसटेसट्रॉन नुतफा (Sperm) के बनाने में बहुत अहम साबित होता है। 

नुक्ता : (Sperm) को बनाने के लिए सरटोली खुलिया और लेडिग खुलिया पिटियूटरी ग्लैंड के हुक्म पर काम करने लगते हैं जबके पिटियूटरी ग्लैंड इन से काफी दूर है और साथ ही उनहों ने इसे कभी देखा तक नहीं 

और जिसकी बनावट इनसे काफी अलग है।पिटियूटरी ग्लेंड के हुक्म ना मिलने पर दीगर खुलियात अपना काम भी शुरू नहीं कर सकते। यह आख़िर पिटियूटरी ग्लैंड का हुक्म क्यूँ मानते हैं ? इससे साफ ज़ाहिर है के इसका बनाने वाला कोई मौजूद है।    अगर सरटोली खुलिये को फ्वालिकल इस्टिम्युलिटिंग हारमोन (FSH) का मतलब ही ना मालूम हो तो अ‍ॅस्ट्रोजन नहीं बनेगा और स्पर्म बनेगा ही नहीं। अगर इस सिलसिले की एक भी कड़ी टूट जाती है तो पूरा निज़ाम दरहम बरहम हो जाएगा।

नोट : इससे साफ ज़ाहिर है के खुदा एक है जिसने इन सबके दरमियान (आज़ा व खुलियात) के तआल्लुक़ को बनाया और वही है जिसने पिटियूटरी ग्लेंड और हायपोथेलेमस व लेडिग और सरटोली खुलिये को रूजु किया ताके यह यक़ीन हो जाए के स्पर्म (Sperm) की तख़लीक़ हो चुकी और इसीने इनहें सलाहियत दी के एक दूसरे की जुबानों और इशारों को समझ सकें ताके पता चले के हर चीज़ जो हो रही है वह खुदा के हुक्म से हो रही है।

तर्जुमा : वह आसमान से लेकर ज़मीन तक(हर) काम की तदबीर करता है।(सूरह सजदा, आयत : 5)

नुक्ता : सीमायनल वेसीकल के ज़रिए एक माए तय्यार होता है जो स्पर्म (Sperm) को इस मुश्किल सफर में यानी इसके निकलने के बाद से लेकर बच्चेदानी (Uterus) तक पहुँचने में साथ देता है।इस बात से साफ ज़ाहिर होता है के सीमायनल वेसीकल के ज़रिए जो माए फ्रुकटोस (Fructose) और प्रोस्ट्रेट ग्लैंड (Prostrate Gland) फायब्रोनोजन (Fibronogen) निकलता है वह औरत के पोशीदा आज़ाओं के बारे में बखूबी जानता है। “ जहाँके वह इससे पहले कभी नहीं गया”

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